चोल राज्य में वरिरिंचैयूर नामक एक उर्वर गांव था, जहां अपने ही मधु के तालाबों में कमल विकसित होते थे। उस गांव को प्रसिद्ध बनाने के लिए कृषक परंपरा में एक भक्त का जन्म हुआ, जिनका हृदय, विष्णु आदि देवताओं को भी दुर्लभ से प्राप्त, ईश्वर के कुंचितपाद के प्रति प्रेम के मधु से भरा था। पशुपति के प्रति अथाह प्रेम के कारण वे भगवान नीलकंठ के भक्तों का अपमान करने वालों की जिह्वा काट देते थे। चूँकि वे शक्ति नामक आयुध से अपचारी की जिह्वा काटते थे, इसलिए उन्हे शक्तियर कहा जाता था। आलोचनात्मक विश्लेषण समाज और धार्मिक प्रथाओं के विकास में सहायक होते है किन्तु विचारहीन ईशनिंदा का खण्डन किया जाना चाहिए। भगवान शिव के भक्तों का अपमान करने वालों को नायनार ने इस सेवा के द्वारा यही कड़ी चेतावनी दी थी। उन्होंने जीवन भर अपने पराक्रम से शिव भक्तों की रक्षा की। अपने भक्तों को कष्ट देने वाले भयंकर हाथी के चर्म को चीर देने वाले भगवान के चरणों में वे अन्तत: पहुंचे। शक्ति नायनार की वीरता रंजित प्रेम से की गई सेवा हमारे मन में सदैव रहें।
गुरु पूजा : ऐप्पसी / पूसम या तुला / पुष्या
हर हर महादेव
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63 नायनमार - महान शिव भक्तों का चरित्र