प्राय: अज्ञानता और अवसरों की कमी के साथ-साथ नियंत्रण से परे कारक जीवन में पतन का कारण बनते हैं। और फिर कहीं से दैवीय कृपा से जीवन महत्ता की ओर तीव्र गति से अग्रसर होती है और यही वे परस्थितियाँ हैं जो एक व्यक्ति को महात्मा बनाती है। ऐसी महात्माओं को इतिहास में पूजनीय माना जाता हैं। मदुरै से शासन करने वाले चंद्र वंशीय पांड्यों में ऐसे ही एक राजा थे नेडुमारनार। राजा, जिन्हे कुब्ज होने के कारण कूनपांडियन कहा जाता था, मिथ्या दर्शनों से प्रभावित थे। वे जैन धर्म के अनुयायी थे। राजा के रहस्यमयी ताप रोग, जो उनके कुकर्मों का फल था, का निवारण तेजस्वी संत तिरुज्ञान संबंधर ने किया। इसी के साथ उनके कुब्ज और भ्रमित मन के ठीक होने के कारण उनका राज्य शैव के उत्तम मार्ग पर चल पड़ा। वे अपनी पुण्यवती पत्नी रानी मंगैयारक्करसियार और निष्ठावान मंत्री कुलचिरयार की प्रार्थना, शैव धर्म के प्रकाश स्तंभ की कृपा और सबसे बढ़कर भगवान शिव के आशीर्वाद से निन्रचीर नेडुमार नायनार या "नेडुमारर जो सम्पूर्ण रूप से खड़े हुए" के नाम से प्रसिद्ध हुए।
अंधकार के युग का अंत करते हुए, प्राचीन तमिल साम्राज्य में पुनः सूर्योदय हुआ। वट वृक्ष के नीचे विराजमान दक्षिणमूर्ति के महान मंदिर की महिमा के साथ जागृत जनता और राजा के योगदान से एक भव्य युग का आरंभ हुआ। तमिल भूमि के इस भूभाग ने इतिहास में अपना महत्व पुनः प्राप्त किया। नायनार के शासन के समय, उत्तर से राजा युद्ध के लिए एक विशाल सेना लेकर आए। तिरुनेलवेली के समर स्थल में, वीर राजा ने आक्रान्ताओं को युद्ध में पराजित किया और इस विजय को इतिहास के पृष्ठों में सदैव के लिए अंकित कर दिया। एक शासक के रूप में दृढ़ और दयालु, हृदय में सदैव महेश के चरणों का स्मरण करते हुए, महान मंगैयारक्करसियार के स्वामी, भगवान शिव के नाम पर साम्राज्य पर शासन करते हुए, राजा लंबे समय तक जीवित रहे। भक्तों के हृदय में अपना स्थान बनाने वाले नेडुमारनार ने अंतत: शिवपद प्राप्त किया। इतिहास में विख्यात पांड्य राजा निन्रचीर नेडुमार नायनार का अद्भुत हृदय परिवर्तन हमारे मन में सदैव रहें।
गुरु पूजा : ऐपस्सी / भरणी या तुला / भरणी
हर हर महादेव
See Also:
1. तिरुज्ञान संबन्धर नायनार
2. Mangaiyarkkarasiyar
3. कुलचिरै नायनार
63 नायनमार - महान शिव भक्तों का चरित्र