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इडङ्कलि नायनार दिव्य चरित्र

शीत जल से भरे जलाशयों और उनके आस-पास पक्षियों की ध्वनि से व्याप्त, कोडुम्बलूर, कोनाडु राज्य की राजधानी थी। इस राज्य पर प्रसिद्ध इडङ्कलियार का शासन था, जो पृथ्वी को रथ बना कर तीनों पुरों को भस्म करने वाले त्रिपुरांतक के अतिरिक्त किसी और के समक्ष अपना शीर्ष नहीं झुकते थे। उन्होंने बड़े प्रेम से गंगाधर शिव के भक्तों के लिए आवश्यक सेवाएं प्रदान कीं। शैव अनुशासन के साथ-साथ वेदिक ज्ञान ने उनके राज्य को शांतिपूर्ण और सुखद बनाया। शरणागत देवों से हालाहल विष को ग्रहण करने वाले ईश्वर के प्रत्येक मंदिर में प्रतिदिन अगामिक विधि से पूजा की जाती थी।

Thiru-Idangkazhi Nayanar - The History of Thiru-Idangkazhi Nayanarएक बार ईश्वर का एक भक्त, जो भगवान के अन्य भक्तों के लिए अन्नदान-सेवा करता था, अपनी पवित्र सेवा के लिए आवश्यक सामग्री अर्जित करने में असमर्थ था। भक्तों की सेवा करने के उत्साह के कारण, बिना सोचे, रात्रि के अंधकार में वह राजसी अन्न भंडार से आवश्यक खाद्य सामग्री लेने के लिए गया। राजमहल के सेवकों ने उसे भंडार से चोरी करते पाकर, उसे बंदी बना लिया और राजा के समक्ष प्रस्तुत किया। पूछताछ करने पर, भक्त ने उत्तर दिया कि उसने ऐसा केवल अन्नदान के लिए यह कार्य किया था। भगवान शिव के अद्भुत भक्त, कोनाडु के राजा, नायनार ने न केवल भक्त को मुक्त कर दिया, अपितु उसे इस सीख के लिए धन्यवाद भी दिया कि जब एक भक्त भोजन प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहा हो तो राजसी अन्न भंडार का क्या प्रयोजन! राजा, जो राजकोष के वास्तविक उपयोग को समझते थे, ने घोषणा की कि अनाज की बोरियों के साथ, शिव के सेवक राजकोष से सेवा के लिए आवश्यक धन ले सकते थें।  देश में शांति के कारण राजकोष में धन बढ़ता रहा और राजा दान करते रहे। वंचित भक्तों के प्रति दया और अपनी प्रजा की समस्याओं की समझ के साथ, इडङ्कलियार ने राज्य पर शासन करते हुए, परंपद को प्राप्त किया। राजा इडङ्कलियार नायनार के भक्तों की समस्याओं की समझ और अद्भुत सेवा हमारे मन में सदैव रहें। 

गुरु पूजा : ऐपस्सी / कृतिकै या तुला / कृतिका 

हर हर महादेव 

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