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चित्त शिव में लीन भक्त (चित्तत्तै शिवनपाले वैतार)

चित्त शिव में लीन (शिव योगी) भक्त 
ध्यान द्वारा रहस्यमय कमलों के पांच देवताओं की अवस्थाओं को पार कर, पूर्ण-सत्य-परम प्रकाश, नाद से परे शिव तक पहुंचकर ये भक्त चेतना की उस अवस्था में रहते हैं। वे वेदों के स्रोत, भगवान की सभा में निवास कर विनम्र सेवा प्रदान करते हैं। चित्तत्तै शिवनपाले वैतार के भक्ति चिंतन का निरंतर अभ्यास हमारे मन में सदैव रहें।

गुरु पूजा : पंगुनी / मीन अंतिम तिथि 

हर हर महादेव 

63 नायनमार - महान शिव भक्तों का चरित्र 

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