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पेरिय पुराण – एक परिचय

उलकेलाम उणर्न् तोडर करियवन
निलवु लाविय नीर्मलि वेणियन
अलकिल  जोतियन  अंबलत्ताटुवान
मलर सिलंपडि वारति वणङ्कुवाम
                                                         - पेरिय पुराण श्लोक - ०१.०१  


पेरिय पुराण शैव मत का एक मुख्य ग्रंथ है । यदि कोई, शिव भक्ति क्या है , शिव भक्तों के कर्म और उनकी स्थिति कैसी होती है, जानने का इच्छुक हो तो उन्हें पेरिय पुराण के आगे देखना नहीं पड़ेगा। यह ग्रंथ ६३ नायनमार के इतिहास को अभिलिखित करता है। शिवजी को शैव ग्रंथों में प्रेम ही माना गया है – ‘अन्बे शिवम’ अर्थात ‘प्रेम ही शिव’ ऐसे कहा गया है ।  नायनमारों के भगवान शिव के प्रति असीमित प्रेम का अनुभव करने के लिए पेरिय पुराण को अवश्य पढ़ना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति ने कभी भक्ति का अनुभव नही किया है, वह भी पेरिय पुराण पढ़कर भक्ति की ओर सरलता से आकर्षित हो जाएगा ।


इस ग्रंथ के रचैता सेक्किलार स्वामी है । सेक्किलार के इस ऐतिहासिक योगदान के लिए चोला राजा अनपाय चोला ने सेक्किलार के लिए राजकीय हाथी पर शोभायात्रा का आयोजन किया था और अपने हाथों से चामर सेवा की थी । सेक्किलार को सत्य का ज्ञान था, श्रेष्ठ काव्यात्मक अभिव्यक्ति थी, विचारों में सच्चाई थी , ६३ नायनमारों के प्रति भक्ति थी और सबसे मुख्य भगवान शिव के प्रति सच्चा प्रेम था । इस ग्रंथ की महिमा यह है कि पेरिय पुराण के पहले शब्द – ‘उलकेलाम’ को भगवान शिव ने स्वयं सेक्किलार को प्रदान किया। पेरिय पुराण की प्रशंसा में कई उपमाएँ दी जाती हैं । इनमें से कुछ नीचे उल्लिखित हैं –

  • यह अमृत है जो तुम्हें शाश्वत प्रेम देता है, इसे तुम ग्रहण करो !
  • यह प्रेम की नित्य नदी है जो तुम्हारे मन के धरती को सींचता है, इसे तुम सींचने दो !
  • यह विशाल समुद्र है जो तुम्हें मोतियों का ढेर देता है, इस समुद्र की गहराई में तुम बसो !
  • यह एक तीक्ष्ण तलवार है जो पाशों को काट कर, स्वतंत्रता का आनंद देता है, इस तलवार को तुम कस के पकड़ो !
  • यह शिक्षक है जो तुम्हें सदाचार सिखाता है, इस शिक्षा से तुम अनुशासन का स्तम्भ बनो!
  • यह इतिहास का पाठ पढ़ाता है, इससे तुम अपना ज्ञान बढाओ !

पेरिय पुराण के इस वर्तमान प्रतिपादान का उद्देश्य मात्र एक झाँकी देना है। यदि पाठकों में मूल ग्रंथ को पढ़ने की जिज्ञासा जागती है तो यह इस प्रतिपादन के उद्देश्य की पूर्ति होगी । तमिल भाषा जो नहीं जानते उन पाठकों के लिए यह प्रतिपादन ६३ नायनमारों के जीवन का परिचय होगा । और जो पेरिय पुराण को मूल भाषा में पढ़ चुके यह प्रतिपादन एक अनुस्मारक होगा । 
 

पाठकों को यह बताना आवश्यक है कि वर्तमान सम्पूर्ण अनुवाद नहीं है, केवल विषयवस्तु को यथावत् प्रस्तुत करता है । इसके पश्चात यदि पाठक इस विषय को आगे ले जाने में रुचि रखता हो तो इन ६३ नायनमारों के गुरु पूजा के दिन उन उन नायनमार के महान कार्यों का स्मरण करें।
कोई भी प्रयास पेरिय पुराण की महानता को पूर्ण रूप से पाठकों के समक्ष नहीं ला सकता है। हमारा निवेदन है कि भगवान शिव के भक्त प्रेम के साथ हमारी त्रुटियों को क्षमा करें और अपनी प्रतिपुष्टि अवश्य दें। 
 

हर हर महादेव !

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