सीमाओं से परे, शिवचरणों में आश्रित भक्त
ये भक्त वे हैं जिन्होंने स्वयं को, गंगा के शीतल जल, कपाल, सर्प, सुगंधित पुष्प और अर्धचंद्र से सुशोभित, भगवान वृषध्वज को समर्पित कर दिया हैं। वे तमिल भूमि से बाहर किसी भी स्थान में निवास हो सकता हैं और भविष्य में भी रह सकते हैं। यह भूमि, भाषा, समय, मार्ग और लिंग की परिधियों को पार कर सभी भक्तों को इंगित करता है जिन्होंने भगवान विष्णु के लिए भी अप्राप्य ईश्वर के आनंदमय चरणों में शरण लिया है। सभी सीमाओं से परे भगवान शिव के प्रति अप्पालुम अडि सार्न्दार का शुद्ध प्रेम हमारे मन में सदैव रहें।
गुरु पूजा : पंगुनी / मीन अंतिम तिथि
हर हर महादेव