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श्रीशिवजटाजूट स्तुतिः - Sri Shiva Jataajoota Stutih

Sri Shiva Jataajoota Stutih



स धूर्जटिजटाजूटॊ जायतां विजयाय वः । 
यत्रैकपलितभ्रान्तिं करॊत्यद्यापि जाह्नवी ॥१॥ 

 

चूडापीडकपालसङ्कुलगलन्मन्दाकिनीवारयॊ 
विद्यत्प्रायललाटलॊचनपुटज्यॊतिर्विमिश्रत्विषः । 
पान्तु त्वामकठॊरकॆतकशिखासन्दिग्धमुग्धॆन्दवॊ 
भूतॆशस्य भुजङ्गवल्लिवलयस्रङ्नद्धजूटाजटाः ॥२॥ 

 

गङ्गावारिभिरुक्षिताः फणिफणैरुत्पल्लवास्तच्छिखा-
रत्नैः कॊरकिताः सितांशुकलया स्मॆरैकपुष्पश्रियः । 
आनन्दाश्रुपरिप्लुताक्षिहुतभुग्धूमैर्मिलद्दॊहदा 
नाल्पं कल्पलताः फलं ददतु वॊऽभीष्टं जटा धूर्जटॆः ॥३॥ 

 

इति श्रीशिवजटाजूटस्तुतिः समाप्ता ॥

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