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Sanskrit

नमश्शिवाय भुजंगम् Namashivaya Bhujangam

नमश्शब्दमात्रे सदातुष्टदेवं 
नतानामुनीनां हृदिस्थंगिरीशम् ।
नरेन्द्राधिपत्यं ददन्तंवहन्तं 
नमश्शिवायेति पदाभिधंस्तुवे ।। १ ।।

महादेवमीशं महावाक्यगेहं 
महात्मानमेकं महत्तत्वमूर्तिम् 
महारुद्रयज्ञैः सदास्तूयमानं 
नमश्शिवायेति पदाभिधंहुवे ॥ २ ॥

शिवंशान्तमूर्ति शिष्टैकपूजितं 
श्रितांघ्रिस्वभक्तान् सदैवाभिरक्षम् 
श्रियंसंदधानं शिलारूपमाद्यं 
नमश्शिवायेति पदाभिधंनमे ॥ ३ ॥

वाग्देवतास्तोत्र तृप्तंश्रुतेगिरां
पारेवसन्तंयोगि हृष्ध्येयमूर्तिम् । 
वकारादिबीजं अमृतस्वरूपं
नमशिवायेति पदाभिधंश्रुवे ॥ ४ ॥

यंदेवदेवं नमश्शब्दपूर्व
शिवायेतिमन्तं तच्छिवाकारमेति । 
चिदानन्दनृत्यं सुधाधातृशक्ति
नमश्शिवायेति पदाभिधंभजे ॥ ५ ॥
 

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