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महाराज स्वाति तिरुनाल् विरचित शिवकीर्तनानि

 

महाराज स्वाति तिरुनाल् विरचित

 

S. No.

 

साहित्यं

 

स्थलं

 

रागं

 

ताळं

  1.  

कलये पवितीनाथ करुणावसं

शुचीन्द्रं

शङ्कराभरणं

चाप्

  1.  

वन्दे महेश्वरमिन्दुकलाधरं वागीशादिविनुतवैभव

शुचीन्द्रं

आरभि

चाप्

  1.  

पाहि तरक्षपुरालय सन्ततं

वैक्कं

जगन्मोहिनि

आदि

  1.  

पाहि तरक्षुपुरालय 'मामयि पावनतरचरित!

वैक्कं

आनन्दभैरवि

आदि

  1.  

परमभद्रकर! पञ्चनदीश! प्रणतचित्तनिवेश!

तिरुवैयार्

ड्विजावन्ति

आदि

  1.  

कृपाकटाक्ष कर्तुं मयि बत किमेवमीश्वर!

तिरुवैयार्

मोहनं

जंब

  1.  

पालय मां देव पार्वतीजाने

श्रीकण्ठेश्वरं

पूर्णचन्द्रिक

आदि

  1.  

पञ्चवाणतनूहर! पाहिःशम्भो! सन्तत

श्रीकण्ठेश्वरं

पूर्वीकल्याणि

आदि

  1.  

पालय मामयि भो श्रीकण्ठेश

श्रीकण्ठेश्वरं

खमास्

आदि

  1.  

परमानन्दनटन मां पाहि

श्रीकण्ठेश्वरं

केदारं

आदि

  1.  

विश्वेशर् दर्सन् कर् चल् मन् तुम् कासी

काशि

दनाश्रि

रूपकं

  1.  

शङ्कर्, श्री गिरिनाथ् प्रभु के

-

गौरि (हंसानन्दि)

आदि

  1.  

शम्भो! सततं पाहि कृपारस

-

कापि

आदि

  1.  

नृत्यति नृत्यति साम्बाशवः धृक्दयों

-

शङ्कराभरणं

आदि

  1.  

पार्वतीनायक! पाहि मां फाललोचन!

-

भूपाळं

आदि

  1.  

अद्रिसुतावर! कल्याणशैलशरासन!

-

कल्याणि

आदि

  1.  

भगवन्! समयोऽयं मयि भद्रकटाक्ष सकृत्

-

असावेरि

आदि

  1.  

जगदीश! पञ्चशिरस

-

नादनामक्रिय

आदि

  1.  

मामव जगदीश्वर माळसाकान्त

-

सरस्वति मनोहरि

आदि

 

 

1. कलये पवितीनाथ करुणावसं

रागम्   शङ्कराभरणं
तालम् रूपकम्.

प. कलये पवितीनाथ करुणावसं

अ. वलशासनादिविबुधवन्धमानपादपायोज कलये

च. 
(१) मकुटपिराजितगङ्गं पूर्णमहितकृपामृतापाझं
लोकनिकरमनोमोहनाझं करनीरजशेभिकुरकं
प्रकटितामरवैरिभङ्गं बरबाहुवलयितभुजङ्गं
काममकळामङ्गलरङ्ग हरमतिपथुवृषभवरेण्यतुम् कलये
(२) मल्लिकामुकुळाभरदनं सोममनिममदहरवदनं
शश्वदुलसहचलेन्द्रवदनं कृपारितसेवककदनं
मल्लाक्षीमानसमदनं बहुमान्यचरितपारिषदान
न्दनं कल्यनयनविलसदन
कुशकनदुदयदनलशलभितमदनं कलये
(३) शशधर शोभिजटान्त सर्वशमलहृतिपटुपादान्तं
पादविशसितवोरकृतान्तं मुनिविमलहृदयाम्बुजभान्तं
विशरणभवसकटान्तं गुहविनेशविलसदुपान्तम्
अतिविशदसितोपलकान्तं
लोकविदितशुचीन्द्रपुराख्यनिशान्तं कलये


2. वन्दे महेश्वरमिन्दुकलाधरं वागीशादिविनुतवैभव


रागम्   आरभी
तालम्   चाय्प्

प. वन्दे महेश्वरमिन्दुकलाधरं वागीशादिविनुतवैभव

अ. दन्दशकनिकरदामशोभितगळं
नन्दनीयशुचीन्द्रनगरनायकमीशं

च. 
(१) भसितद्विगुणितोरुसितभासं वर
प्रज्ञातीर्थतटान्तकृतवासं पुरो
लसितशम्याकं पालितदासं बुधा.
लघुपापहरमतिमृदुहास चर्म
वसनं भूतसंवृतं वासवशुचिकर
मसदृशमहिमानमाम्बिकाप्राणेशं वन्दे
(२) हरिहरसुतगुहपरिवृतं मात
ङ्गाननपोषकमविरतं वृष
वरनिजवाहनसेवितं मृदु
वचननन्दिताशेषसुरजातं लोक
शरण गङ्गाधरं शान्तयोगिनिषेव्यं
स्मरणीयपदयुगं सामोदं शुभकरं वन्दे
(३) मदनदाहकफालतलनेत्रं त्रिपुर
मास्तोरगं देवनुतिपात्र विधु
वदनं वासुकिकटिसूत्र कुन्द
रदनमलकृतराजतगोत्रं लोक
मुदितरथोत्सवं मोहनतमरूपं
पदनतसदयं श्रीपभनाभतोषिण वन्दे


3. पाहि तरक्षपुरालय सन्ततं

रागम्   जगन्मोहिनि
तालम्   आदि


प:
पाहि तरक्षपुरालय सन्ततं
पावनसुचरित मां

अ:
देहि मे तावकसवां महनीयगुणवास मां

च:
1.
पालिसुनिकर दीनबन्धा पादनतशुभकरण
कालकाल सदा पाहि देवदेव कवादिवस चरण
2.
फालतटराजितन्ऱॆत कामान्तक परिजनकामदान निपुण
नीलकण्ठ पालय मां निखिलरुवनशरण्
3.
पादनतमुनिमानसमोहनीय भासुरतरमृदुहास
वेदान्तागमवेद्याबिलनिजरवन्दितपदसारस
4.
मन्दाकिनीधर् देवेश परिलस मम हृदि विगतदोष
कुन्दद्युतिविलसितरदन व्योमकेश
5.
वारय पापनिकरं दासभवाधिपाटननिरुपम लोल
भूरिकृपावासापांग गौरीकान्त बालचन्द्ररुचिर फाल
6.
पूजलधरपवन वृषभयान परिजिबुधसाल
सारसनाभरणसेवक सदानुकुल


4. पाहि तरक्षुपुरालय 'मामयि पावनतरचरित!

रागम्   आनन्दभैरवी
तालम्  चेम्पट

प. पाहि तरक्षुपुरालय 'मामयि पावनतरचरित!

अ. देहि तवाविषयोजरति मम
दीनदयापर! देव! पुरान्तक' पाहि

च. 
(१) फालनयनशलभीकृतमन्मथ!
पाणिविराजितकुरणपरश्वध!
कालमहादववारिद! निरुपम! कचरुचिरचरण!
शैलसुतामुखपङ्कजमधुकर!
सामजचर्मदुकूल! जगन्नुत!
नीलकण्ठ! रिपुपनगसमुदय
नीलकण्ठ! जगदीश्वर! जय जय पाहि
(२) नागवरेण्यविभूषितकन्धर।
नारदशुकसनकादिनिषेवित।
भागधेयभृतलोकनयनपद! भव्यगुणनिवास!
वागधिपानिशवन्दितशुभपद।
वारिजदलनिभनेत्रयुगाब्यय।
रागविनिन्दितविम्बफलाधर!
राजतगिरिवरवास! महेश्वर! पाहि
(३) कामितवरदायकामितभुजबल |
कल्याणगिरिवर कार्मुकविलसित!
भीमभवजलनिधितारक! सुरगणभीकरासुरदमन!
सोमकलाश्चितशेखर!
नतजनशोकतिमिरसमुदायदिनेश्वर।
रामणीयकनिकेत! वृषासन!
राजराजसख! शङ्कर! सन्ततं पाहि

5. परमभद्रकर! पञ्चनदीश! प्रणतचित्तनिवेश!

रागम्  जावन्सा
तालम् चेम्पट

पै. परमभद्रकर! पञ्चनदीश! प्रणतचित्तनिवेश!

ब. चरणशरणमगति जनमेनं चास्कृपाकटाक्षेण
सकृत् स्नपय हृदयसन्तापं प्रशमय परम

च. 
(१) त्वामहं जगतां शरण्वमुपास्य चिरमसह्यसंसृतिवा
धामनुभवामीति यदिदं तत् किं वा समुचितं
भूमिधरशरासन! विचित्रतरभूतभौतिकसृष्टिविधातु
ममिकीनदुरितकर्मसमुदयमखिलमपि विधूय सपदि परम
क्षेममाकलयितुं बत तब लोकेश्वरस्य
शाक्तिरार्य! नो वा 
(२) काळकूटमुदीक्ष्य दिशि दिशि कान्दिशीकेषु किल सुरेषु
लीलया कवलयित्वा तं त्रिभुवनं संरक्षितं;
नलिकण्ठ! निखिललोकमयहर! निरूपमाद्भुत! सुमहानुभाव!
फालनयन! परमेश्वर! किश्चिदपागवीक्षण
साध्ये मदीय-
पालनेऽद्य का प्रयास इह नृपालमहितसुनहा
शक्तेस्तव 
(३) मृत्युपाशकलितं मुनीन्द्रापत्यमवितुमाशु लिगानि
नत्य सदयमपराधिनं तं धनस्था सनिगृह्य
अत्यन्तभीतमवनतं तमपाङ्गवीक्षणपात्रमकाः;
नित्यशुद्धबोधरूप! विबुधस्तुत्यचरित!
निरवधिधनतरभव
मृत्युचकितमतिदीनं तावकभृत्यमिममुपेक्षितु
मुचितं वा 
(४) अन्तरा त्वत्स्वरूप स्फुटमादरेण दर्शयित्वा वि
भ्रान्तचित्तं मां धनभवपाशमुक्तं मा वितनुषे;
किं तवोदेति न करुणा मयि हन्त दुष्टदुःख
वारयितुं
दन्तिनं वितीर्य सुलभमतिसमुदयगमनभैरावत
सन्निभम्
अन्ततः सर्वज्ञ! महेश! किमकुशप्रदानाय विवादः
 (५) सादरं त्वत्कटाक्षलेशसम्भवश्वेदखिलं दुःखं
सृदितं स्माद् यथा चान्धं सूर्योदयानन्त,
आदिदेव! विमलभाव! परमशिवाखिलामरेश्वर!
वेदवे (य!) भालसीम्नि विधिना लिखितं दुरक्षर निकर ज
न्मादिदुःखसब्जनकं ममापि निषूदय प्रमोदम चिरमातनु 


6. कृपाकटाक्ष कर्तुं मयि बत किमेवमीश्वर!


रागम्  मोहनं
तालम्   झम्प

प. कृपाकटाक्ष कर्तुं मयि बत किमेवमीश्वर!
पराङ्मुखोऽसि

अ. अपारतापत्रयेण सुतरां
तपामि पचनदीश्वर 'निरवधि कृपा

च. 
(१) घोरभीमभवाम्बुराशिमपारमेतं तर्तुं त्वां श्रुति
सारवेधमविज्ञाय कथक्कारमह परिशक्नोमि
अगारतनयदारधनपरिवारमुखसम्भरितमिमं सं
सारमनिशं विचार्य सकलमसारमिति सहसा संन्यस्य
मारवीरशासन
' जनकादिविचारणीयममलं तारार्थमुदार
मन्तरं विज्ञातुं पदसारसं तव शरणं गतवति         कृपा
(२) वेदवेद्य! सदा नु तव शुभपादभजनपरायणेऽस्मिन्
खेदमतिमातनुषे चेदिह को देवः शरण मे
सादरं समुपेत्य सविधं खेदमखिलमपोय
समधिकमोदमाकलयाशु विफलविवादवचनमिदं
तव मास्तु हदि देवमखिलेश त्वां भाग्योदयेन
सुपरिवयं शुकसनकादिसेव्यदिव्यमूचिसाक्षा
कारमेव चिरकालं वान्छति         कृपा
(३) तोयजासनगेयविलसदमेयगुणसमुदाय! भक्तवि
धेय! जगदाधेय तरणोपाय! परिविल
[सदभुताधेय
हेयदेहात्ममति सपदि विधूय
परमं तव चिद्रूपमयि मम करामलकवद
पायरहितं सदा विधाय गेयरूप! भगवन्! श्रीगौरी
नायकेन्दुशेखर! निरवधिकश्रेय आशु
कलयितुमवसरमिति भूय एवमनुदिनमाकांक्षति         कृपा

 

7. पालय मां देव पार्वतीजाने

रागम्  पूर्णचन्द्रिक
तालम्   आदि

पालय मां देव पार्वतीजाने

फालने तपाथोजपाद श्रीकण्

सानिपध धनि रिससरिगमरीगा मप पससा
सारसर्विनुत सामरविधूतासुर करुणा
सा नि पा म पा पा मा गा म रिगम पाम गा म रि
वासभूत लो कै क ना थ रजत शैल भूषण पालय मां


पूर्णचन्द्रिका निभांग
1
रिरिगमपामगरिगमरिस सरिगम
भूधरशराससमधिकशुभत जय जय
2
सासानिपधधरिरिगगमपमगम रिगम
दीप्त तर निटिलनयनमदनतनुदाहक्
3
मा प म ग म रि रि ग म पा म ग म रि
क्षीरधिमथनसुरसुरारि कलिते
गमरिगमपसासनि पसनिधनी पम पम गम रिगम
गरळा ह न का निशीक निखिलजगदवनरचिताशन
4
पापाम ग म पा म गा म रिसरीरीसनिपधानिसरी
साम्राज्यकरपापराशिहरभूर्यार्त्त जनपालविभो
रिसनिपधनिसरि रि ग म रि ग म प
मुनि सुत भय हर फणिगणाभरण
पधप सास निप
परम भद्र गुण
सनिपपामपम गरीरि सरिगम
वृषभवाहभसि तलेप पुरहर
पूर्णचन्द्रिकानिभांगभूत वृन्दसं सेवित
पुण्डरीकनाभादत तूर्णमीश देहि मोदं


8. पञ्चवाणतनूहर! पाहिःशम्भो! सन्तत


रागम्    पूर्वकल्याणी
तालम्    चेम्पट

प. पञ्चवाणतनूहर! पाहिःशम्भो! सन्तत

अ. किचन ते कृपया मे खेदमपाहयेश! पञ्च

च. 
(१) हेमगिरिशरासन! हेरम्बजनक! भक्त
कामितदाननिरत। कामसेवित।
सोमपोतवर! तुहिनभूमिधरसुताकान्त।
श्यामांचगळराजिसर्पहार! पुरान्तक '
(२) कालपाशकृतावृतिकातस्मृकण्डुसूनु
पालन! हतकृतान्त! भद्रदायक'
फालतलशोभिनेत्र! भस्मालेताखिलगात्र!
शूलपरश्ववपाणे! शोभनवृषभवाह! पश्च
(३) श्रीकण्ठेशामरकृतक्षारवासिवमथने
भीकाकाळकूट वं पीतवानहो
श्रीकरनामनिवह। चेतोहरतरकान्ते!
नाकेशनुत! श्रीपमनामसेवकानुकूल! पञ्च


9. पालय मामयि भो श्रीकण्ठेश

रागम्   खमास्
तालम्    आदि


पालय मामयि भो श्रीकण्ठेश
पालनशील विदो (श्रीकण्ठेश

कालकाल सन्ततं केवलानन्दप्
माळसापिय मौक्तिक-माणिहार

दारितरिपुनिकर लोकनाथ
तासहदीपिहार! सुरगणयाचनया
सारथान भूरिजयदायक गगाळनचण्ं

वासावां नमान दीनबन्धो
वाराशरदळन भासुरतरमदुहऱास.
राजितमुख शशधर कुलशोभित सुरतरमौले

नीरसमचरण गजनीकान्त
भरितकरुणनायन सुखवरकामितदायक
परम पङ्कजनाभ पदसव पाल


10. परमानन्दनटन मां पाहि

तालम्    केदारं
रागम्   आदि


पल्लवि
परमानन्दनटन मां पाहि
परमानन्दनटन

अनुपल्लवि
ध्यकिटतों तों धूकिटतों तों
ध्यकिटतों तों तकतधिं गिणतोमिति

चरणङ्ङळ्
कमलासनसेव्य कामान्तक कुरु मे हर कुशलं
शलमभूधरकुलिश पन्नगविमलभूषण वितरमुदमयि
2.
पुरवारितपवन मां पालयसरिदीश गभीर
करुणयाव सुचरित सुरवर गिरिवरालय परम- पुरुष
3.
नळिनायतनयन श्रीकण्ठेश फाललोचन देव
जलजनाभसूचरणनतलनकलुषनाशन कलितनत- सुख


11. विश्वेशर् दर्सन् कर् चल् मन् तुम् कासी
तालम्    दनाश्रि
रागम्      रूपकं


पल्लवि
विश्वेशर् दर्सन् कर् चल् मन् तुम् कासी

अनुपल्लवि
1.
विश्वेशर् दर्सन् जब् कीनो बहुप्रम् सहित्
काटे करुणा- निशान् जनन्-मरण्-फांसी
2.
बह्ी जिन्की पुरी मो गंगा पय् के समान्
वा के तट् घाट् घाट् भर् रहे सन्यासी
3.
भस्म् अंग् भुज् त्रिशूल् उर् मॆ लसे नाग् माल्
गिरिजा अंगत् धरे तिरुवन् जिन् दासी
4.
पत्मनाभ् काल् नयन् त्रिनयन् शंभु महेश् भज्
इन् दो स्वरुप् रहिये अविनासी


12. शङ्कर्, श्री गिरिनाथ् प्रभु के
रागम्    गौरि (हंसानन्दि)
तालम्   आदि

पल्लवि
शङ्कर्, श्री गिरिनाथ् प्रभु के
नृत्त् विरजत् चित्रसभा मे

अनुपल्लवि
1.
भसम् त्रिनेत् गले पुण्डमाला
भूतन् के संग् नाचत् भंगी
2.
त्वनन् तनन् नन् धुं धुं बाजे
देव् मुनीसब् गगन् विराजे
3.
ध्रुकुट् धिं तधिं तादिं धुन्न् बाजे
कोट- मयन् जाकु देवॆ सो
4
ताऴॆ तकिटतक् श्रुति गति राजे
पद्मनाभ् मन् कमल् बिराजे


13. शम्भो! सततं पाहि कृपारस

रागम्  कोपि. 
तालम्  चेम्पट

प. शम्भो! सततं पाहि कृपारस
सागर! साम्ब! विभो!

अ. जम्भारातिमुखाखिलनिर्जर
सन्ततानतपदाम्बुरुहाव्यय! शम्भो!

च. 
(१) नागविभूषितमङ्गळमूर्ते!
नारदादिमुनिसन्नुतकीर्ते!
वागमृताहतभक्तजनातें।
वारिजसममुख! सद्गुणपूर्ते! शम्भो।
(२) बाहुपरिकलितपरशुकुरङ्ग!
भासुरवृषभाधीशतुरङ्ग!
साहसपरसुरवैरिविमङ्ग!
सर्वलोकनयनाधिहराङ्ग! शम्भो!
(३) राजतगिरिवरकल्पितखेल!
रतिवरदाह! जगधयपाल!
भ्राजितसोमकलोपमभाल!
पद्मनाभसहजाहतलील! शम्भो!


14. नृत्यति नृत्यति साम्बाशवः धृक्दयों


रागम्   शवराभरणं
तालम्  चेम्पट.

प. नृत्यति नृत्यति साम्बाशवः धृक्दयों
धृक्थों धृक्ट्थों धुक्यो मिति

अ. नित्यविमलतनुरधिविनतनिज
भृत्यशुभकरणधीरनुसायं नृत्यति

च. 
(१) पादर्श मिमणिनूपुरविराचेत
भावुकवणघणरणितमुदितमति
रादरेण पुरुहूतकलितवरहारि
वेणुस्तलोलमौलिरिह नृत्यति
(२) नन्दिकेश्वरसुवादितडमरुक
नन्दनीयहुमुहूमुरवपर! सुर
सुन्दरीकरविलोळितचाम
वृन्द एष शिशुसोमधरो बत नृत्यति
(३) पापहीनमुनिसेवितंपदयुग!
पद्मनाभसहजापतिरशरण
तापदारणपरोऽयमनिन्दित
धन्यशीलनिवहो गिरिशो बहु नृत्यति

 

15. पार्वतीनायक! पाहि मां फाललोचन!


रागम्  भूपाळम्
तालम्  आदिताळ :

प. पार्वतीनायक! पाहि मां फाललोचन!
पार्वतीनायक! पाहि माम्

अ. सर्वलोकैकनाथ! सरसिजदळनेत्र!
सर्वशं कुरु मम शङ्कर! सन्ततं पार्वती


 (१) गङ्गानिर्मितजटाभर! दक्षमखहर!
गरळकलितगळ! करधृतमृगवर!
तुझ्गबलमतङ्गदितिजभजनकर!
तुहिनकरशेखर! विनिहतपञ्चशर! पार्वती
(२) भानुशशिरथाङ्गयुतभूमिरथ! शम्भो!
भासमानमेरुचाप! हे वं भो!
दीनरक्षणकृते! हतपुरवर! विभो!
देव! दींकरकृतभूषण! प्रभो! पार्वती
(३) पुन्नागवनवासकुतुक! गोपते!
पुरुहूतसुतवरदान विलास! पुरपते!
खिन्नतरे माय कुरु दयां सुरपते।
खेदमाशु नाशय मामक भूतपते! पार्वती


16. अद्रिसुतावर! कल्याणशैलशरासन!


रागम्   कल्याणी
तालम्   चेम्पट

अद्रिसुतावर! कल्याणशैलशरासन!
मामव शम्भो!

अ. भद्रापारदयाधुनिधे! वरपन्नगाभरण!
लोकशरणानिशम् अंद्रि

(१) देवनदीसमलकृतनिजजट
दीनलोकपरिपालक! सुविमल
भावयोगिहृदयाम्बुजनिलय  सु
धावदातदुक्षसित! विभो!
पावनानुमचरित! निवारित
पापजाल! विबुधौघविनतपद!
सेवकाखिलावेषादहरणचण!
चित्तयोनिदइनातिमहित! पर! अद्रि
(२) शीतभानुपृथुकावतस! रिपु
जातवारिधरमारुत! निरूपम!
वीतमोहमदकैतव! पटुतम
भूतवृन्दपरिवृतसविध!
पूतनामनिकराश्रितजनधन
पुण्यजाल! रजताद्रिकृतनिलय!
भूतिदायक! मनोजसुगुण! हरि
सूतिपाशुपतसायकद! सततम् अद्रि
(३) घोरपुरविपिनदाव! मृकण्डुकु
मारभीतिविनिवारण | शरदिज
सारसारसदळोपमलोचन!
सामजाजिनदुकूल! विभा!
पूरिताश्रतमनोरथ! शङ्कर!
भारताशसुरनायकसेवित!
नारदादिमुनेिगातचरित पद्म
नामसेवकजनानुकूल! परम् अद्रि


17. भगवन्! समयोऽयं मयि भद्रकटाक्ष सकृत्


रागम्  असावेरी
तालम् चेम्पट

प. भगवन्! समयोऽयं मयि भद्रकटाक्ष सकृत्
[कर्तुं भगवन्!

अ. नगजाभूपितवामतनो! प
नगराजालकृतसङ्गि भगवन्!

च. 
(१) चारुकलानिधिलाळेतकलाप!
चामीकरभूवरवरचाप!
मारवीरकृतकोपाटोप!
महितविमलविज्ञानस्वरूप!
दारितधनदक्षकन्धर! वृन्दारकालिरक्षानिपुण!
मुरारिकृतकटाक्ष! अमृतरसपूरभरितभिक्ष!
नारदाघुदारपक्ष! वरपरिवार! शारदनीरदनिभशरीर!
वारितविनतजनाखिलशोक!
पूरितवान्छितसकलश्रीक!
भूरितरापज्जलनिधिनौक!
धृतकोमळपदनाळीक! भगवन्।
(२) भीमगजासुरधनमदहरण!
मीतविनतजनविपदुद्धरण!
सामजवरचर्माम्बरभरण!
सकललोकसम्पूजितचरण!
धामनिधिनिवास! दरकुन्दाममन्दहास! जग[दभिराममुखविकास!
अत्यन्तरमणीयवि! भीमभवविरामकर!
सुपर्वसुललामपद लामविलसदळिक!
हैमवतीमोहनदि!
अमितदयारसविलसदपाङ्ग!
कोमळकरपरिकलितकुरङ्ग।
कुरु मुदं मम वृषभतुरङ्ग! भगवन्!
(३) कैलासाचलविहरणलोल।
करकमलकलितडमरुकशूल!
भालविलसितज्वलनज्वाल!
लीलाकबालतसुमहाश्वेळ!
कालमदविदार! अवितमृकण्डमुनिकुमार!
द्रुहिणकपालकण्ठहार! आश्रितइत्पाशुभविहार।
हेलिधनरागालिद्दरणचणनिजमौलिसिंहकेलीधृत सरिद्वर!
हेलानिर्मितविश्वावरोचन!
नालीकारिज्वलनावेलोचन!
वेलातीतमतिविमोचन!
विना खां मम न गतिः काचन भगवन्!


18. जगदीश! पञ्चशिरस
रागम्  नादनामक्रिय 
तालम्   आदि


जगदीश! पञ्चशिरस


पल्लवि
जगदीश! पञ्चशिरस
रसूदन! निगमागमवेद्य! परिपालय मां

चरणं
1
योगिजातहृदयाबुजसदनातनागभूषण! परिपालय मां
चरणं
2
पादविनतटवखेददळनपण! साधुसेवित! परिपालय मां
चरणं
3
पुरजलदपवन! पुरन्दरादीसुपूजितचरण! परिपालय मां
चरणं
4
गिरिजासुहृदयकुवलयशशाङ्क! करुणावास! परिपालय मां
चरणं
5
जलजनाभपदनळिनजनरताखिलशुभ! परिपालय मां


19. मामव जगदीश्वर माळसाकान्त
रागम्   सरस्वति मनोहरि
तालम्   आदि

पल्लवि
मामव जगदीश्वर माळसाकान्त

अनुपल्लवि
समभुवनशरण सकलपादविनत
कामदानचतुर कमनीयतरापांग

चरणङ्ङळ्
1,
वलसुदनादिदेववृन्दसेवित चारु-
जलरुहामदहरचरणयुग मां पाहि
सुलळितमणि हारशोभिचारुकन्धर
कलय मम कुशलं कमनीयमोहनांग
2.
तरुणविधुफाल तुरगदिव्यवाहन
सरसिजाससुन्दर श्वनिकरपरिवृत
करुणारसनिलय खलमणिमल्लान्तक
परिलस मम हृदि पङ्कजदळलोचन
3.
नारदमुखमुनिगेयचरित विनि-
वारितचरणनतपातक,
सारसनाभानुजासंमोहन निरुपम
सुरुचिरमृदुहास संसारपोत


 

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