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शशाङ्कमौलीश्वर स्तोत्रम - Shashaangamoulishvara Stotram

Shashaangamoulishvara Stotram
 

माङ्गल्यदाननिरत प्रणमज्जनानां 
मान्धातृमुख्यधरणीपतिचिन्तिताङ्घ्रे । 
मान्द्यान्धकारविनिवारणचण्डभानो 
मां पाहि धीरगुरुभूत शशाङ्कमौले ॥१॥

 

मां प्राप्नुयादखिलसौख्यकरी सुधीश्च
माकन्दतुल्यकविता सकलाः कलाश्च ।
क्वाचित्कयत्पदसरोजनतेर्हि स त्वं
मां पाहि धीरगुरुभूत शशाङ्कमौले ॥२॥

 

मातङ्गकृत्तिवसन प्राणतार्तिहारिन
मायासरित्पतिविशोषणवाडवाग्ने ।
मानोन्नतिप्रद निजाङ्घ्रिजुषां नराणां
मां पाहि धीरगुरुभूत शशाङ्कमौले ॥३॥

 

इति शशाङ्कमौलीश्वरस्तोत्रं संपूर्णम ॥

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