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तुला स्नान / कडै मुलुक्कु / मुडवन मुलुक्कु

तुला स्नान/ कडै मुलुक्कु

तुला पुराण में कहा गया है कि देवी गंगा तुला / ऐप्पसी (मध्य अक्टूबर - मध्य नवंबर) मास में काविरी में निवास करती हैं। इस कारण से, ऐप्पसी के पूरे मास में और विशेष रूप से मास के अंतिम दिन काविरी में स्नान की परंपरा है। ऐप्पसी मास के अंतिम दिन, काविरी में स्नान करने को 'कडै मुलुक्कु' या 'अंतिम स्नान' कहा जाता है। यह मायूरम में विशेष रूप से मनाया जाता है। मायूरम में काविरी पर एक विशेष तुला घाट है। इस दिन, मयिलाडुतुरै के सभी मंदिरों से पंचमूर्तियां तीर्थवारी के लिए काविरी आतीं हैं! इस अवसर पर, पूरे तमिलनाडु से सहस्रों भक्त काविरी में स्नान करने और भगवान मयूरनाथ के दर्शन करने के लिए मयिलाडुतुरै आते हैं।

मुडवन मुलुक्कु

मायूरम के समीप एक गांव में एक अपंग व्यक्ति था। वह कडै मुलुक्कु के दिन काविरी में स्नान के लिए उत्सुक था। इसलिए, वह बड़ी कठिनाई से सवयं को घसीटता हुआ मायूरम की ओर चला। किन्तु वह कडै मुलुक्कु के अगले दिन ही तुला घाट तक पहुंच पाया। वह जिस उत्साह के साथ आया था, उसे जानते हुए, देवी गंगा ने उसे आशीर्वाद देने के लिए एक दिन काविरी में निवास किया। कडै मुलुक्कु के दूसरे दिन, यानी कार्तिक (वृश्चिक) मास का पहला दिन, 'मुडवन मुलुक्कु' के नाम से जाना जाता है।

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