प्रदोष पूजा भगवान शिव की उपासना में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि के संध्याकाल को ४.३० से ६.०० के मध्य का समय प्रदोष कहलाता है। प्रदोष समय विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए है। इस विशेष समय पर प्रार्थना करने से हमें अपने पापों से मुक्ति मिलती है (इसलिए इसका नाम “प्रदोष” है) और अन्तत: मोक्ष भी। प्रदोष समय में एक विशेष प्रकार की परिक्रमा की जाती है जिसे "सोम सूत्र प्रदक्षिणम" कहा जाता है।
पुराण काल में देवताओं और असुरों ने अमृत के लिए वासुकी नाग और मंदार पर्वत की सहायता से क्षीराब्धि का मंथन किया था। तब भयंकर हलाहल विष निकला, जिससे सृष्टि का अस्तित्व संकट में था। भयभीत होकर, वे सभी भगवान शिव की शरण में गए। दयालु भगवान शिव ने हलाहल का सेवन कर लिया। उनकी अनुमति से, उन्होंने अमृत प्राप्त करने के लिए अपना प्रयास पुन: प्रारंभ किया। अमृत द्वादशी तिथि को प्रकट हुआ। जिनके बिना अमृत प्राप्ति असंभव था, उन महादेव के प्रति कृतज्ञता व्यक्त किये बिना देवताओं ने अपना विजय-उत्सव प्रारंभ कर दिया।
त्रयोदशी को उन्हें अपने इस त्रुटि का अनुभव हुआ और उन्होंने क्षमा मांगी। प्रसन्न होकर, भगवान शिव ने उन्हें क्षमा करते हुए नन्दि के शृंग के मध्य आनंद तांडव का दर्शन उन्हें दिया। इस समय को प्रदोष समय कहा गया है। जो भी भक्त इस पावन समय में भगवान शिव की पूजा करता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसे मोक्ष का वरदान मिलता है।
प्रदोष काल में शिव का अभिषेक इन वस्तुओं से करने से निम्न फल प्राप्त होता हैं –
दूध | दीर्घ आयु |
घी | मुक्ति |
दही | संतान प्राप्ति |
मधु | मधुर स्वर |
चावल का आटा | ऋण से मुक्ति |
गन्ने का रस | आरोग्य |
पंचामृत | धन-संपत्ति |
नींबू | मृत्यु का भय दूर होता है |
चीनी | शत्रुता दूर होती है |
नारियल | भोग-ऐश्वर्य |
अन्न | राजा समान जीवन |
चंदन | देवी लक्ष्मी की कृपा |
इन सबसे अधिक हृदय में प्रेम द्वारा शिव का अभिषेक करने से स्वयं प्रभु प्राप्त होतें हैं!!
शिव पूजा में बिल्व और पुष्प भी अर्पित करें। प्रत्येक प्रदोष के समय शिव मंदिर जाएं और उनकी कृपा की छाया में आनंदपूर्वक रहें।
॥ शिवाय नमः ॐ भवाय नमः भवाय नमः ॐ नमः शिवाय॥
See Also:
1. Somasootra pradakshina
2. Pradhosha puja - in Tamil script
3. Pradhosham calendar for this year