शिव पूजा में अन्न (पके हुए चावल) एक महत्वपूर्ण पदार्थ है। अन्नाभिषेक प्रत्येक दिन करना चाहिए। यदि यह संभव न हो, तो ऐप्पस्सी (तुला) मास की पूर्णिमा पर विशेष महा अन्नाभिषेक किया जाना चाहिए।
अन्न भगवान को अर्पित किया जाने वाला सर्वोत्तम नैवेद्य है और इसे दैनिक पूजा में महा नैवेद्य कहा जाता है।
अन्न को वैदिक यज्ञ में हविस के रूप में अर्पित किया जाता है। शिवलिंग पर अन्नाभिषेक भी इसी के समान माना जाता है। शिवलिंग वैदिक अग्नि का ही प्रतिनिधि है।
अन्न को प्राण ऊर्जा माना गया है। वेदों में अन्न क महत्व इस प्रकार कहा गया है - "अन्नम न निशिन्द्यात", "अहमन्नम"। अतः अन्नभिषेक वह पूजा है जिससे यह महत्वपूर्ण प्राण ऊर्जा विकसित होती है।
शिवलिंग पर कभी तप्ते पके चावल का अभिषेक नहीं किया जाना चाहिए। यह उस तापमान पर होना चाहिए जिसे हाथ सहन कर सके।
भगवान के अभिषेक के पश्चात प्राप्त अन्न प्रसाद का एक दाना भी ग्रहण करना वरदान है।