तिथि पंचांग के अनुसार जिस तिथि पर चन्द्र का दर्शन नही होता है, उस दिन को अमावस्या कहते है। यह तिथि माह की ३०वीं और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि है। शिव मंदिरों में प्रत्येक मास “पंच पर्व उत्सव” मनाया जाता है – अमावास्या, पूर्णिमा, रवि संक्रमन (सौर मास क आरंभ), कृष्ण पक्ष अष्टमी और कृष्ण पक्ष चतुर्दशी।
अमावस्या को पापों से मुक्त होने का अवसर प्राप्त होता है और पुण्य तीर्थों में स्नान करने की रीति है। इसी के अनुरूप, कई शिव मंदिरों में अमावस्या के दिन तीर्थवारी उत्सव मनाया जाता है।
जब सोमवार के दिन अमावस्या तिथि क संयोग होता है, तो इसे सोम-अमावस्य-प्रदक्षिणम नामक एक विशेष अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। भगवान शिव के अष्ट महाव्रतों में से एक शूल व्रत, तै-मास (मकर मास) के अमावस्या को पड़ता है।
अमावस्या साम वैदिक आचार्यों की वंशावली में एक ऋषि का नाम भी है।
अमावस्या को पैतृक ऋणों की पूर्ति के लिए भी एक शुभ दिन माना जाता है।
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1. Shula Vrata