वेणाट्टाडिकल उन नौ भक्तों में से एक हैं जिन्होंने नौवें तिरुमुरै - दिव्य तिरुविसैपा के पदिगम गाए हैं। उनकी रचना तिरुविसैपा के छठे भाग में अंकित हैं। उनका नाम या उनके जीवन के विषय में विवरण प्राप्त नहीं है। चूँकि वे वेणाडु (तिरुवंगूर क्षेत्र जो केरल और तमिलनाडु के मध्य है) से थे, इसलिए उन्हें वेणाट्टाडिकल कहा जाता है। उनके नाम से पता चलता है कि वे एक सन्यासी थे। वे प्रभु के परिपक्व भक्त थे। ऐसा कहा जाता है कि वे एक राजसी परिवार से थे। उनका हृदय सदैव त्रिनेत्र भगवान के लिए प्रेम से भरा रहता था और वे भगवान शिव की स्तुति करते हुए देश के दक्षिणी भागों की यात्रा करते थे। उनके द्वारा रचित केवल एक ही पदिकम उपलब्ध है जो तिलै (चिदम्बरम) के नटराज की स्तुति है। इनके समयकाल का विवरण भी प्राप्त नही है।
हर हर महादेव
See Also:
1. திருவிசைப்பா