कपिल देव नायनार उन बारह भक्तों में से एक हैं जिन्होंने दिव्य पदिनोरान तिरुमुरै - ग्यारहवें तिरुमुरै में योगदान दिया है। इतिहास में कपिलर नाम के कई कवियों का उल्लेख है। कुछ लोग कहते हैं कि तिरुमुरै में जो है, उसका श्रेय ई.पू काल में रहने वाले कपिलर को जाना चाहिए जो संगम काल में रहने वाले कपिलर से पृथक है। संगम काल में रहने वाले कपिलर ने संगम साहित्य में कई गीत लिखे हैं। ग्यारहवें तिरुमुरै की तीन रचनयें, भगवान शिव के इस भक्त द्वारा की गई हैं, जो हैं – मूत नायनार तिरु-इरटैमणिमालै, शिवपेरुमान तिरु-इरटैमणिमालै और शिवपेरुमान तिरु-अंतादी।
हर हर महादेव
See Also:
1. பதினொன்றாம் திருமுறை